केंद्र सरकार – भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में एक बड़ा कदम उठाते हुए, सरकार ने हाल ही में एक नया ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है। यह पोर्टल उन कंपनियों के लिए है जो भारत में ईवी निर्माण और बिक्री करना चाहती हैं, खासकर उन विदेशी कंपनियों के लिए जो यहां निवेश करना चाहती हैं। इस पहल से भारत में ईवी क्षेत्र में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है, और सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अब भारत में इलेक्ट्रिक वाहन आम आदमी की पहुंच में आ पाएंगे, यानी क्या ईवी सस्ती होंगी?
पोर्टल का उद्देश्य और नियम:
यह नया ऑनलाइन पोर्टल खास तौर पर उन कंपनियों के लिए बनाया गया है जो नई ईवी नीति (Electric Vehicle Policy) के तहत भारत में निवेश करना चाहती हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत को वैश्विक ईवी निर्माण केंद्र बनाना है। इस पोर्टल के तहत कुछ महत्वपूर्ण नियम और शर्तें रखी गई हैं:
- न्यूनतम निवेश: कंपनियों को भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) का निवेश करना होगा।
- घरेलू उत्पादन: कंपनियों को तीन साल के भीतर भारत में ईवी का उत्पादन शुरू करना होगा और पांच साल के भीतर उत्पादन का 50% तक स्थानीयकरण (localization) करना होगा, यानी गाड़ियों के पुर्जे भारत में ही बनने चाहिए।
- टैरिफ में कमी: जो कंपनियां इन शर्तों को पूरा करेंगी, उन्हें कुछ निश्चित संख्या में ईवी आयात करने पर 15% का कम आयात शुल्क (import duty) देना होगा। यह शुल्क अभी 70% या 100% तक होता है, जो गाड़ियों की कीमत पर निर्भर करता है।
यह कम टैरिफ विदेशी कंपनियों को भारत में अपने प्रीमियम मॉडल बेचने का मौका देगा और साथ ही उन्हें भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
क्या ईवी सस्ती होंगी?
केंद्र सरकार– यह सबसे अहम सवाल है कि क्या इस कदम से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें घटेंगी। जानकारों का मानना है कि हां, ऐसी पूरी संभावना है। इसके कई कारण हैं:
- उत्पादन में वृद्धि: जब ज्यादा कंपनियां भारत में ईवी का उत्पादन करेंगी, तो बड़े पैमाने पर उत्पादन (mass production) होगा, जिससे प्रति यूनिट लागत कम होगी।
- प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी: नई कंपनियों के आने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा, क्योंकि कंपनियां बेहतर फीचर्स के साथ सस्ती गाड़ियां पेश करने का प्रयास करेंगी।
- स्थानीयकरण का लाभ: पुर्जों का स्थानीयकरण बढ़ने से आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे लॉजिस्टिक्स और उत्पादन लागत में कमी आएगी। यह बचत अंततः ग्राहकों तक पहुंच सकती है।
- सब्सिडी और प्रोत्साहन: केंद्र और राज्य सरकारें पहले से ही ईवी खरीद पर सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन दे रही हैं। नई नीति और कंपनियों के निवेश से इन प्रोत्साहनों में और वृद्धि हो सकती है, जिससे कीमतें और कम होंगी।
हालांकि, यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि शुरुआत में प्रीमियम विदेशी ब्रांड की गाड़ियां अभी भी महंगी होंगी। लेकिन जैसे-जैसे स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा और ज्यादा मॉडल बाजार में आएंगे, सस्ती ईवी की एक विस्तृत श्रृंखला ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी।
रोजगार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
इस नीति का केवल ईवी की कीमतों पर ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा:
- निवेश आकर्षित होगा: यह पोर्टल और नीति भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करेगी, जिससे नए कारखाने लगेंगे और बुनियादी ढांचा मजबूत होगा।
- रोजगार के अवसर: ईवी निर्माण से जुड़े नए उद्योगों और सहायक उद्योगों में लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: विदेशी कंपनियां अपनी उन्नत ईवी प्रौद्योगिकी भारत में लाएंगी, जिससे भारतीय कंपनियों को सीखने और विकसित होने का मौका मिलेगा।
- पर्यावरण लाभ: ज्यादा ईवी सड़कों पर आने से प्रदूषण कम होगा, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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चुनौतियां और आगे की राह:
हालांकि यह एक सकारात्मक कदम है, फिर भी कुछ चुनौतियां हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है:
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: ईवी को चार्ज करने के लिए मजबूत और व्यापक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की अभी भी कमी है। सरकार को इस पर तेजी से काम करना होगा।
- बैटरी उत्पादन: लिथियम-आयन बैटरी की आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन क्षमता को बढ़ाना एक चुनौती है। भारत को बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर बनना होगा।
- कुशल श्रमिक: ईवी उद्योग के लिए कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी। प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर, केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किया गया यह नया पोर्टल भारत में ईवी क्रांति को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि यह नीति भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक किफायती और सुलभ बनाएगी, जिससे देश में हरित परिवहन को बढ़ावा मिलेगा और एक मजबूत ईवी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।