भारत और अमेरिका की ‘बड़ी’ व्यापार डील फंसी? 9 जुलाई डेडलाइन पर अटका पेच!

भारत और अमेरिका के बीच जिस “बड़ी और खूबसूरत” व्यापार डील का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा है, वह अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। 9 जुलाई, 2025 की महत्वपूर्ण समयसीमा नजदीक है, और दोनों देश इस व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को अंतिम रूप देने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। हालांकि, कुछ संवेदनशील मुद्दों पर, खासकर कृषि क्षेत्र में, भारत के कड़े रुख के कारण बातचीत थोड़ी पेचीदा बनी हुई है।

क्या है मौजूदा स्थिति?

वर्तमान में, भारत और अमेरिका के अधिकारी वाशिंगटन में एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत कर रहे हैं। इस समझौते का लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करना और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा $191 बिलियन से बढ़ाकर $500 बिलियन तक पहुंचाना है।

9 जुलाई की समयसीमा क्यों अहम?

दरअसल, अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय वस्तुओं पर 26% अतिरिक्त शुल्क लगाया था। हालांकि, इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया था, और यह स्थगन 9 जुलाई को समाप्त हो रहा है। अगर इस तारीख तक कोई समझौता नहीं होता है, तो यह 26% शुल्क फिर से लागू हो सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा, अमेरिका का 10% मूल शुल्क अभी भी भारतीय उत्पादों पर लागू है, और भारत इस 26% अतिरिक्त शुल्क से पूरी छूट चाहता है।

कहां अटका है पेच?

भारत और अमेरिका- व्यापार समझौते में कई अहम मुद्दों पर बातचीत चल रही है, लेकिन कृषि और डेयरी उत्पाद कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण रहा है:

  • अमेरिका की मांगें: अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन, डेयरी उत्पाद, सेब, और अन्य फलों एवं मेवों पर आयात शुल्क कम करे। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि अगर भारत कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम नहीं करता, भले ही यह सीमित मात्रा (कोटा) में ही क्यों न हो, तो कोई भी व्यापार समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।
  • भारत का रुख: भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्र जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना रुख सख्त कर लिया है। मोदी सरकार इन उत्पादों पर निर्भर देश के लाखों छोटे किसानों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है। राजनीतिक रूप से भी कृषि क्षेत्र में रियायत देना सरकार के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

इनके अलावा, भारत कुछ श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कपड़ा (टेक्सटाइल), रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे उत्पादों के लिए अमेरिका में बेहतर बाजार पहुंच और शुल्क रियायतें चाहता है। वहीं, अमेरिका स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए टैरिफ में कमी की भी मांग कर रहा है।

आशा की किरण और बड़े बयान:

भारत और अमेरिका- हाल ही में कुछ सकारात्मक संकेत भी मिले हैं। व्हाइट हाउस ने कहा है कि भारत के साथ इस समझौते पर जल्द ही अपडेट मिलेगा और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच “बेहतरीन रिश्ते” इस डील को और मजबूती देंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी संकेत दिए हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता “बहुत ही जटिल व्यापार वार्ता” के मध्य में है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में कुछ ठोस निकलकर सामने आएगा।

लक्ष्य $500 बिलियन का व्यापार:

इस डील का अंतिम लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $191 बिलियन से बढ़ाकर $500 बिलियन तक ले जाना है। यह वार्ता भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

टाटा मोटर्स को झटका: जून 2025 में यात्री वाहन बिक्री में 15% और वाणिज्यिक वाहनों में 5% की गिरावट!

निष्कर्ष:

भारत और अमेरिका के बीच यह व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर यह भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच दिलाएगा और आर्थिक विकास को गति देगा, वहीं दूसरी ओर यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करेगा। हालांकि, कृषि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन 9 जुलाई की समयसीमा के मद्देनजर दोनों पक्ष एक समाधान खोजने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश इस “बड़ी और खूबसूरत” डील को समय पर अंतिम रूप दे पाते हैं या नहीं।

Leave a Comment