भारत में न्यूनतम मजदूरी 2025- भारत में लाखों श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी (Minimum Wage) एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि यह सीधे तौर पर उनके जीवन स्तर और आर्थिक सुरक्षा पर असर डालती है। हर साल, सरकारें महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम मजदूरी दरों में संशोधन करती हैं। 2025 में भी कई राज्यों और केंद्र सरकार ने नई दरें लागू की हैं या करने की तैयारी में हैं। आइए, समझते हैं कि 2025 में न्यूनतम मजदूरी को लेकर क्या बड़े बदलाव हुए हैं और इसका क्या मतलब है।
न्यूनतम मजदूरी क्या है और कौन तय करता है?
न्यूनतम मजदूरी वह सबसे कम राशि होती है जो किसी नियोक्ता को अपने कर्मचारी को कानूनी तौर पर देनी होती है। यह न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
के तहत निर्धारित की जाती है। भारत में, केंद्र सरकार और राज्य सरकारें दोनों ही अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले अनुसूचित रोजगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरें तय करती हैं। ये दरें आमतौर पर हर छह महीने या साल में एक बार, महंगाई भत्ते (DA) के समायोजन के साथ संशोधित की जाती हैं।
2025 में क्या हुए हैं बदलाव?
2025 में कई राज्यों और केंद्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि की घोषणा की है। यह वृद्धि मुख्य रूप से बढ़ती महंगाई को देखते हुए की गई है ताकि श्रमिकों की क्रय शक्ति बनी रहे।
- विभिन्न राज्यों में वृद्धि: कई राज्यों ने 1 अप्रैल, 2025 से अपनी न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि की है। उदाहरण के लिए:
- बिहार: यहां अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी ₹424 प्रतिदिन, अर्द्धकुशल के लिए ₹440, कुशल के लिए ₹536 और अतिकुशल के लिए ₹654 प्रतिदिन की गई है।
- हरियाणा: मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी ₹400 प्रतिदिन तक पहुंच गई है, जो देश में सबसे अधिक है।
- दिल्ली: यहां अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और ग्रेजुएट या उससे ऊपर के कर्मचारियों के लिए नई दरें लागू हुई हैं, जो मासिक आधार पर ₹18,456 से ₹24,356 तक हो सकती हैं।
- उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे कई अन्य राज्यों ने भी अपनी दरों में 2% से 7% तक की वृद्धि की है।
- केंद्रीय क्षेत्र में भी बढ़ोतरी: केंद्र सरकार भी केंद्रीय क्षेत्र में काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि कर रही है। ये दरें कौशल स्तर (अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल, अतिकुशल) और भौगोलिक क्षेत्र (ए, बी, सी) के आधार पर अलग-अलग होती हैं। मासिक आधार पर ये दरें ₹14,000 से ₹27,000 तक हो सकती हैं, जो विभिन्न श्रेणियों और क्षेत्रों पर निर्भर करती हैं।
न्यूनतम मजदूरी कैसे तय होती है?
भारत में न्यूनतम मजदूरी 2025 तय करने के लिए कई बातों का ध्यान रखा जाता है:
- कौशल स्तर: श्रमिकों को आमतौर पर अकुशल (Unskilled), अर्ध-कुशल (Semi-skilled), कुशल (Skilled) और अतिकुशल (Highly Skilled) जैसी श्रेणियों में बांटा जाता है। हर श्रेणी के लिए अलग दरें होती हैं।
- भौगोलिक क्षेत्र: शहरी क्षेत्रों में, जहां जीवन-यापन की लागत अधिक होती है, न्यूनतम मजदूरी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक होती है। इसके लिए क्षेत्रों को ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणी में बांटा जाता है।
- महंगाई भत्ता (VDA): बढ़ती महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए न्यूनतम मजदूरी में परिवर्तनीय महंगाई भत्ते (Variable Dearness Allowance – VDA) को भी जोड़ा जाता है। इसे हर छह महीने में समायोजित किया जाता है।
- उद्योग का प्रकार: कुछ विशेष उद्योगों के लिए भी अलग न्यूनतम मजदूरी दरें तय की जा सकती हैं।
न्यूनतम मजदूरी का महत्व:
- श्रमिकों की सुरक्षा: यह श्रमिकों को शोषण से बचाने और उन्हें एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पर्याप्त आय सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- गरीबी कम करना: उचित न्यूनतम मजदूरी गरीबी कम करने और आय असमानता को घटाने में सहायक होती है।
- आर्थिक विकास: जब श्रमिकों के पास पर्याप्त क्रय शक्ति होती है, तो वे वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
- सामाजिक न्याय: यह सामाजिक न्याय का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को उसके काम का उचित मूल्य मिले।
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चुनौतियां और आगे की राह:
हालांकि न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि एक स्वागत योग्य कदम है, फिर भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:
- लागू करना: न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का प्रभावी ढंग से लागू होना अभी भी एक चुनौती है, खासकर असंगठित क्षेत्र में।
- “जीवन निर्वाह मजदूरी” की ओर: भारत
न्यूनतम मजदूरी प्रणाली
सेजीवन निर्वाह मजदूरी प्रणाली
(Living Wage System) की ओर बढ़ने की बात कर रहा है, जहां मजदूरी सिर्फ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पर्याप्त हो। इस दिशा में अभी और काम करना बाकी है। - जागरूकता: श्रमिकों में अपने अधिकारों और न्यूनतम मजदूरी दरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर, 2025 में न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि श्रमिकों के लिए एक अच्छी खबर है। यह सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह श्रमिकों के कल्याण के लिए काम कर रही है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना कि इन दरों का सही ढंग से पालन हो और श्रमिकों को उनका हक मिले, एक निरंतर प्रयास का विषय है।