सेना का सहारा! 2025 में ‘सुपर-50’ के तहत मणिपुर के 44 छात्र NEET और JEE में हुए सफल

सेना का सहारा- संघर्ष प्रभावित मणिपुर के छात्रों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है भारतीय सेना की ‘सुपर-50’ पहल। इस सराहनीय योजना के तहत, कुल 44 छात्रों ने 2025 की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) जैसी कठिन परीक्षाओं को सफलतापूर्वक पास किया है। यह उपलब्धि ऐसे समय में आई है, जब राज्य जातीय हिंसा के कारण एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है, और यह इन छात्रों की लगन और भारतीय सेना के unwavering समर्थन का एक बड़ा सबूत है।

क्या है ‘सुपर-50’ योजना?

‘सुपर-50’ भारतीय सेना द्वारा चलाई जा रही एक अनूठी और महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य मणिपुर के आर्थिक रूप से कमजोर और दूरदराज के क्षेत्रों के मेधावी छात्रों को मुफ्त आवासीय कोचिंग और मार्गदर्शन प्रदान करना है। इस पहल के तहत छात्रों को मेडिकल (NEET) और इंजीनियरिंग (JEE) प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और देश के भविष्य में योगदान दे सकें। यह योजना विशेष रूप से उन छात्रों के लिए जीवन बदलने वाली साबित हुई है जिनके पास महंगे कोचिंग संस्थानों का खर्च उठाने के साधन नहीं हैं।

प्रभावशाली परिणाम 2025:

इस साल के परिणाम ‘सुपर-50’ कार्यक्रम की सफलता को दर्शाते हैं:

  • JEE में शानदार प्रदर्शन: JEE परीक्षा के लिए प्रशिक्षित किए गए 18 छात्रों में से 13 ने इसे सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया है। यह इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
  • NEET में भी कमाल: NEET परीक्षा में बैठे 41 छात्रों में से 37 ने सफलता हासिल की है। यह संख्या बताती है कि मेडिकल के क्षेत्र में भी छात्रों का रुझान और सफलता दर काफी अच्छी है।
  • दोहरी सफलता: इन 44 छात्रों में से 6 ने तो NEET और JEE दोनों परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करके अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। यह एक दुर्लभ उपलब्धि है जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को दर्शाती है।
  • राज्य टॉपर: सबसे खास बात यह रही कि मास्टर फिलेम जेनिंन सिंह ने 97.06 परसेंटाइल के प्रभावशाली स्कोर के साथ मणिपुर के NEET राज्य टॉपर्स में से एक के रूप में उभरे हैं। उनकी सफलता अन्य छात्रों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगी।

उम्मीदों की नई किरण:

सेना का सहारा- मणिपुर इस समय एक गंभीर जातीय संघर्ष से जूझ रहा है, जिसने हजारों लोगों को विस्थापित किया है और शिक्षा प्रणाली को भी बाधित किया है। ऐसे मुश्किल हालात में, इन छात्रों की सफलता न केवल उनके परिवारों के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है। यह दिखाता है कि मुश्किलों के बावजूद, शिक्षा और सही समर्थन से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। यह बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाता है।

उत्सव समारोह के दौरान, सेना और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने छात्रों के माता-पिता से बातचीत की और उनके बलिदान और समर्थन की सराहना की। इस अवसर पर मौजूद एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने कहा, “यह सिर्फ शुरुआत है। आगे भी प्रयास करते रहें, दूसरों का समर्थन करें और समाज में सकारात्मक बदलाव के वाहक बनें।” उन्होंने छात्रों को भविष्य में भी कड़ी मेहनत करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

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सेना का जन-कल्याणकारी चेहरा:

यह पहल भारतीय सेना के सिर्फ रक्षा कार्यों तक ही सीमित न रहकर, समाज कल्याण और राष्ट्र निर्माण में उसकी सक्रिय भूमिका को भी दर्शाती है। सेना न केवल सीमा पर देश की रक्षा करती है, बल्कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से नागरिकों, विशेषकर युवाओं के सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में, ऐसी पहलें लोगों का विश्वास जीतने और सामान्य स्थिति बहाल करने में भी मददगार साबित होती हैं। यह दिखाता है कि सेना सिर्फ हथियारों और युद्ध की नहीं, बल्कि उम्मीद और विकास की भी प्रतीक है।

‘सुपर-50’ योजना एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर, किसी भी पृष्ठभूमि के बच्चे अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। यह मणिपुर के युवाओं के लिए एक उज्जवल भविष्य की नींव रख रहा है और उन्हें डॉक्टर व इंजीनियर बनकर अपने राज्य और देश की सेवा करने का मौका दे रहा है। यह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है।

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