छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए वरदान है ये सरकारी योजना, दोबारा होने जा रही शुरू

रायपुर, 18 जून 2025


छत्तीसगढ़ सरकार एक बार फिर से आदिवासी समाज की ज़रूरतों को समझते हुए उनके लिए फायदेमंद योजनाओं की शुरुआत कर रही है। राज्य सरकार की एक ऐसी योजना जिसे पहले बहुत सराहना मिली थी, अब दोबारा शुरू की जा रही है। यह योजना है – मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान योजना। यह योजना न केवल आर्थिक मदद देती है, बल्कि आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक एकता को भी मजबूत करती है।

छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी बहुल जिलों में यह योजना पहले चलाई गई थी और अब सरकार ने इसे फिर से सक्रिय करने का निर्णय लिया है। इस योजना का मकसद है कि आदिवासी समुदाय के पारंपरिक त्योहारों, मेलों और सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा मिले और नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़ा जा सके।

योजना का उद्देश्य

मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान योजना का मुख्य उद्देश्य है:

  • आदिवासी त्योहारों और परंपराओं को संरक्षित करना
  • ग्राम पंचायतों को आर्थिक सहायता प्रदान करना
  • स्थानीय समाज में सामूहिकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना

सरकार की इस पहल से ग्राम पंचायतों को हर साल ₹10,000 की सहायता राशि दी जाती है, जिसका उपयोग वे अपने परंपरागत त्योहारों जैसे कि सरहुल, कर्मा, नवाखाई, मंडई आदि के आयोजन में कर सकते हैं।

क्यों है यह योजना खास?

छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहाँ की आबादी का बड़ा हिस्सा आदिवासी समुदाय से आता है। ये लोग अपने रीति-रिवाजों, लोकनृत्य, गीत-संगीत और धार्मिक आयोजनों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन आधुनिकता की दौड़ में ये परंपराएं कहीं पीछे न रह जाएं, इसी सोच से इस योजना को दोबारा लागू किया जा रहा है।

योजना का लाभ ये है कि इससे:

  • स्थानीय कलाकारों को मंच मिलता है
  • ग्रामीण स्तर पर सांस्कृतिक पहचान मजबूत होती है
  • युवाओं को अपनी संस्कृति पर गर्व होता है
  • सामूहिक आयोजन से गांवों में एकता बढ़ती है

सरकार की मंशा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना को दोबारा लागू करते हुए कहा कि:

“हमारे आदिवासी भाई-बहनों की संस्कृति इस राज्य की आत्मा है। उन्हें सहेजने और संजोने के लिए यह योजना फिर से शुरू की जा रही है।”

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि अनुदान सीधे ग्राम पंचायत के खाते में पहुंचे और उसका उपयोग पारदर्शी तरीके से हो।

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लोगों की प्रतिक्रिया

ग्राम पंडरीपानी के सरपंच राजू नेताम ने बताया:

“पहले जब योजना लागू हुई थी, तो पूरे गांव ने मिलकर पारंपरिक मंडई उत्सव मनाया था। अब फिर से इसे शुरू किया जा रहा है, तो हमें बहुत खुशी है।”

वहीं, एक आदिवासी छात्रा सुषमा कश्यप ने कहा:

“अब हमें स्कूल में अपने त्योहारों के बारे में भी बताया जा रहा है। हमारी संस्कृति का सम्मान बढ़ रहा है।”

आगे की योजनाएं

राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि आदिवासी विकास को लेकर आने वाले समय में और भी योजनाएं लाई जाएंगी, जिनमें शामिल हैं:

  • आदिवासी युवाओं के लिए विशेष छात्रवृत्ति
  • पारंपरिक शिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देना
  • ग्रामीण पर्यटन को विकसित करना

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ की यह योजना सिर्फ एक अनुदान तक सीमित नहीं है, यह एक सांस्कृतिक आंदोलन का हिस्सा है। यह पहल आदिवासी समाज को गर्व की अनुभूति देती है और उन्हें यह विश्वास दिलाती है कि सरकार उनके साथ है।

कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान योजना एक सांस्कृतिक पुल है जो पीढ़ियों को जोड़ने का काम कर रही है। यह योजना आने वाले समय में न सिर्फ आदिवासी समाज को, बल्कि पूरे राज्य को सांस्कृतिक रूप से और समृद्ध बनाएगी।

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