भारत-कनाडा ने नए उच्चायुक्तों को नियुक्त करने पर जताई सहमति; जी-7 सम्मेलन में बनी बात

भारत-कनाडा के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव के बीच एक सकारात्मक कदम सामने आया है। दोनों देशों ने अपने-अपने नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर सहमति जताई है। यह फैसला हाल ही में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान लिया गया, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुलाकात हुई। इस बातचीत को दोनों देशों के संबंधों को सुधारने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

रिश्तों में आया था तनाव

पिछले कुछ महीनों से भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास देखी गई थी। इसका मुख्य कारण कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर भारत की चिंता रही है। भारत ने इस मुद्दे पर कई बार कनाडा सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की थी। वहीं, कनाडा ने भी अपने नागरिकों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर जवाब दिया था। इन मतभेदों के चलते दोनों देशों के बीच संवाद सीमित हो गया था और उच्च स्तर की राजनयिक गतिविधियाँ ठप हो गई थीं।

जी-7 सम्मेलन में बदला माहौल

भारत-कनाडा हाल ही में इटली में हुए जी-7 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ट्रूडो की अनौपचारिक मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने बातचीत में आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान यह सहमति बनी कि दोनों देश अपने-अपने उच्चायुक्तों की नियुक्ति जल्द करेंगे, ताकि संवाद का स्तर फिर से बढ़े और गलतफहमियाँ दूर की जा सकें।

नए उच्चायुक्तों के नाम जल्द होंगे घोषित

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत और कनाडा ने नए उच्चायुक्तों के नाम तय कर लिए हैं और औपचारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी। इससे पहले, दोनों देशों के उच्चायुक्तों को पिछले साल के अंत में वापस बुला लिया गया था। अब एक बार फिर से उच्चस्तरीय राजनयिक मौजूदगी बहाल होने जा रही है।

व्यापार और शिक्षा पर भी चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी और ट्रूडो की बातचीत के दौरान व्यापार, निवेश, शिक्षा और लोगों के आपसी संपर्क को लेकर भी चर्चा हुई। भारत में बड़ी संख्या में कनाडाई कंपनियाँ काम कर रही हैं, वहीं कनाडा में हज़ारों भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। दोनों देशों ने माना कि आपसी मतभेदों को बातचीत से सुलझाकर इन क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत किया जा सकता है।

लोगों ने जताई उम्मीद

भारत और कनाडा के नागरिकों ने भी इस खबर का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर लोग इस फैसले को रिश्तों में “नई शुरुआत” बता रहे हैं। खासकर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों और कनाडा में पढ़ रहे छात्रों को इससे बड़ी राहत मिली है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि वीजा, पढ़ाई और यात्रा से जुड़ी समस्याएँ अब जल्दी सुलझेंगी।

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आगे की राह

हालांकि यह सिर्फ एक शुरुआत है, लेकिन दोनों देशों के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर संवाद का यह सिलसिला जारी रहा, तो आने वाले समय में भारत और कनाडा के रिश्ते फिर से पुराने भरोसे और सम्मान की ओर लौट सकते हैं।

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत की संवेदनशीलता और संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। बातचीत और सहयोग तभी आगे बढ़ेंगे जब दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं को गंभीरता से लें।

निष्कर्ष:


भारत और कनाडा के बीच नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि रिश्तों में सुधार की उम्मीद जगाने वाला कदम है। अगर दोनों देश समझदारी और संयम से काम लें, तो यह नया अध्याय उनके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

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