ब्रिक्स – भारतीय कूटनीति को एक बड़ी सफलता मिली है। ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हाल ही में संपन्न हुए 17वें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन 2025 के संयुक्त घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए दर्दनाक आतंकवादी हमले की न सिर्फ कड़ी निंदा की गई है, बल्कि साफ शब्दों में कहा गया है कि आतंकवाद के लिए कोई बहाना नहीं चलेगा। इस घोषणापत्र को पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक कड़ा और सीधा संदेश माना जा रहा है, जिन पर भारत लंबे समय से आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है।
पहलगाम हमला 2025: जब मानवता पर हुआ था वार
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने एक कायराना हमला किया था। इस हमले में 26 बेगुनाह लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे जो शांति और प्रकृति का आनंद लेने गए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और एक बार फिर आतंकवाद के क्रूर चेहरे को सामने ला दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में ‘शांति और सुरक्षा’ पर हुए विशेष सत्र के दौरान पहलगाम हमले का जिक्र किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला था और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है।
ब्रिक्स 2025 का आतंकवाद पर कठोर रुख: ‘कोई बहाना नहीं, कोई दोहरे मापदंड नहीं’
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 के समापन के बाद जारी किए गए संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद पर एक बेहद मजबूत और स्पष्ट संदेश दिया गया है। घोषणापत्र के मुख्य बिंदु कुछ इस प्रकार हैं:
- आतंकवाद की कड़ी निंदा: “हम आतंकवाद के किसी भी काम को गलत और आपराधिक मानते हुए उसकी कड़ी निंदा करते हैं, चाहे उसकी वजह कुछ भी हो, वह कहीं भी हुआ हो, और किसी ने भी किया हो।”
- पहलगाम हमले का सीधा जिक्र: “हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए।” यह पहली बार है जब ब्रिक्स ने किसी भारतीय आतंकी हमले का इतनी स्पष्टता से नाम लेकर निंदा की है।
- शून्य सहिष्णुता पर जोर: “हम आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं, जिसमें आतंकवादियों का सीमा पार आना-जाना, आतंकवाद के लिए पैसा इकट्ठा करना और आतंकवादी समूहों को सुरक्षित जगह देना शामिल है।”
- ‘दोहरे मापदंड’ को खारिज: “हम आतंकवाद के प्रति कोई सहनशीलता नहीं रखने की बात दोहराते हैं और आतंकवाद से निपटने में ‘दोहरे मापदंड’ को पूरी तरह से खारिज करते हैं।”
पाकिस्तान को साफ और कड़ा संदेश:
घोषणापत्र में सीधे तौर पर किसी देश का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन जब ब्रिक्स जैसे शक्तिशाली समूह ‘आतंकवाद के लिए कोई बहाना नहीं’ और ‘दोहरे मापदंड नहीं’ जैसी बातें करते हैं, तो यह सीधे तौर पर उन देशों की ओर इशारा करता है जो आतंकवाद को अपनी विदेश नीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं या उन्हें पनाह देते हैं। भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाने देने का आरोप लगाता रहा है।
- सुरक्षित पनाहगाहों पर वार: ‘आतंकवादी समूहों के लिए सुरक्षित पनाहगाह’ का जिक्र सीधे तौर पर उन देशों पर दबाव बढ़ाता है जो अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए होने देते हैं।
- वित्तपोषण पर रोक: आतंकवाद के वित्तपोषण (फंडिंग) को रोकने की बात उन देशों के लिए परेशानी खड़ी करती है जो चुपचाप या खुले तौर पर आतंकवादी संगठनों को पैसा मुहैया कराते हैं।
- सीमा पार आवाजाही: आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही पर रोक लगाने का आह्वान भी भारत की चिंताओं को दर्शाता है, खासकर जम्मू-कश्मीर में होने वाले हमलों को देखते हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ब्रिक्स मंच 2025 पर कहा कि “आतंकवाद जैसे मुद्दों पर किसी भी तरह के दोहरे मानदंड की कोई जगह नहीं है। अगर कोई देश आतंकवाद का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करता है, तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।” यह बयान ब्रिक्स घोषणापत्र के साथ मिलकर पाकिस्तान पर गहरा दबाव बनाता है।
भारत की कूटनीतिक जीत:
ब्रिक्स, जिसमें दुनिया की पांच बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाएं (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शामिल हैं, के मंच पर पहलगाम हमले की स्पष्ट निंदा करवाना और ‘दोहरे मापदंड’ को खारिज करवाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है। यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा है और इसे किसी भी राजनीतिक या धार्मिक बहाने से सही नहीं ठहराया जा सकता। यह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक एकजुट रुख बनाने में मदद करेगा।
कुल मिलाकर, 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 का घोषणापत्र आतंकवादियों और उनके समर्थकों के लिए एक मजबूत और स्पष्ट संदेश देता है। पहलगाम हमले की निंदा और ‘दोहरे मापदंड’ को खारिज करना यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब आतंकवाद को किसी भी बहाने से बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। यह भारत के लिए एक बड़ी जीत है और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है।