ULI 2025: UPI की तर्ज पर मिलेगा लोन, बैंकों के चक्कर से आज़ादी!

ULI 2025 – भारत में डिजिटल क्रांति ने जिस तरह से पेमेंट सिस्टम को बदला है, अब उसी तर्ज पर लोन लेने की प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव आने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ‘यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस’ (ULI) नाम का एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म लाने की तैयारी में है, जिसे UPI की सफलता से प्रेरित बताया जा रहा है। इसका मुख्य लक्ष्य लोन लेने की प्रक्रिया को आसान, तेज और सभी के लिए सुलभ बनाना है, खासकर उन लोगों के लिए जो अभी तक औपचारिक क्रेडिट सिस्टम से दूर हैं।

क्या है ULI?

ULI 2025, जिसे पहले ‘फ्रिक्शनलेस क्रेडिट प्लेटफॉर्म’ के नाम से जाना जाता था, एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा जो ऋणदाताओं (बैंकों और NBFCs) और उधारकर्ताओं को एक साथ लाएगा। यह विभिन्न सरकारी और निजी डेटा स्रोतों (जैसे भूमि रिकॉर्ड, टैक्स डेटा, आदि) से जानकारी को एक साथ लाने के लिए स्टैंडर्ड API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) का उपयोग करेगा। इसका मतलब है कि लोन देने वाली संस्थाएं एक ही जगह पर ग्राहक से संबंधित सभी जरूरी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगी, जिससे लोन अप्रूवल की प्रक्रिया बहुत तेज हो जाएगी।

ULI कैसे काम करेगा?

अभी लोन लेने के लिए ढेर सारे कागजात जमा करने पड़ते हैं, और बैंक या वित्तीय संस्थान को हर जानकारी को अलग-अलग सत्यापित करना पड़ता है, जिसमें काफी समय लगता है। ULI सिस्टम में:

  1. डिजिटल डेटा एक्सेस: ULI के माध्यम से बैंक और NBFCs ग्राहक की सहमति से विभिन्न डिजिटल डेटा स्रोतों (जैसे लैंड रिकॉर्ड, GST डेटा, बैंक स्टेटमेंट, आदि) तक पहुंच बना सकेंगे।
  2. तेज सत्यापन: चूंकि सारी जानकारी डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी और सत्यापित होगी, इसलिए लोन देने वाले संस्थान तुरंत ग्राहक की पात्रता की जांच कर पाएंगे।
  3. पेपरलेस प्रक्रिया: कागजी कार्रवाई लगभग खत्म हो जाएगी, जिससे पूरी प्रक्रिया आसान और पर्यावरण के अनुकूल बनेगी।
  4. “प्लग एंड प्ले” मॉडल: विभिन्न वित्तीय संस्थान इस प्लेटफॉर्म से ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल पर जुड़ सकते हैं, जिससे तकनीकी एकीकरण की जटिलता कम होगी।

किसको होगा सबसे ज्यादा फायदा?

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि ULI का सबसे ज्यादा फायदा छोटे गांवों, कस्बों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को होगा। अभी इन क्षेत्रों के लोगों को लोन लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनके पास अक्सर पर्याप्त ‘क्रेडिट हिस्ट्री’ या जमानत नहीं होती। ULI से:

  • छोटे और ग्रामीण उधारकर्ता: किसानों और छोटे व्यवसायों को बिना ज्यादा भागदौड़ किए आसानी से लोन मिल पाएगा।
  • नए उद्यमी: जिनके पास अभी तक कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है, उन्हें भी उनके डिजिटल फुटप्रिंट और अन्य उपलब्ध डेटा के आधार पर लोन मिल सकेगा।
  • कम ब्याज दरें: पारदर्शिता बढ़ने और जोखिम कम होने से लोन देने वाली संस्थाएं शायद कम ब्याज दरों पर लोन दे पाएं।
  • समय की बचत: लोन अप्रूवल में लगने वाला समय घंटों या दिनों से घटकर मिनटों में आ जाएगा।

UPI जैसी क्रांति की उम्मीद

RBI को उम्मीद है कि ULI भी UPI की तरह ही भारतीय वित्तीय परिदृश्य में एक बड़ी क्रांति लाएगा। जैसे UPI ने डिजिटल भुगतान को हर किसी के लिए सुलभ बना दिया, वैसे ही ULI डिजिटल क्रेडिट को बढ़ावा देगा। गवर्नर दास ने जनधन-आधार, UPI और ULI को भारत की डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर यात्रा की ‘नई त्रिमूर्ति’ बताया है।

मारुति सुजुकी ने बनाया नया कीर्तिमान: मई 2025 में 24.5 लाख से अधिक वाहनों की रिकॉर्ड सर्विस!

चुनौतियां और आगे की राह:

ULI की अवधारणा बहुत आशाजनक है, लेकिन इसके सफल कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी होंगी:

  • डेटा सुरक्षा और गोपनीयता: इतनी बड़ी मात्रा में संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखना और उसकी गोपनीयता सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
  • तकनीकी एकीकरण: सभी डेटा प्रदाताओं और ऋणदाताओं को एक साथ इस प्लेटफॉर्म पर लाना एक जटिल तकनीकी कार्य होगा।
  • जागरूकता: ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोगों को इस नई प्रणाली के बारे में जागरूक करना और इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण होगा।

ULI अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रहा है, लेकिन इसके जल्द ही पूरे देश में लागू होने की उम्मीद है। यह निश्चित रूप से भारतीय वित्तीय बाजार में एक गेम-चेंजर साबित होगा, जिससे करोड़ों लोगों के लिए कर्ज लेना आसान हो जाएगा और भारत के वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी।

Leave a Comment