दिल्ली पुलिस का एक्शन! क्रेडिट कार्ड से ₹10.8 लाख उड़ाने वाले जामताड़ा के ठग गिरफ्तार, ऐसे बचें आप भी।

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने एक बड़े क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए झारखंड के जामताड़ा से चार शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फर्जी ऐप्स, OTP चोरी और SMS धोखाधड़ी जैसे तरीकों से लोगों को ठग रहा था। पुलिस ने इन अपराधियों से ₹10.8 लाख की ठगी के मामले को सुलझाया है, जिसमें एक पीड़ित से क्रेडिट कार्ड डिटेल्स लेकर पैसे उड़ाए गए थे।

कैसे हुई गिरफ्तारी और क्या था मामला?

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट को एक शिकायत मिली थी, जिसमें एक व्यक्ति ने बताया था कि उनके क्रेडिट कार्ड से ₹10.8 लाख की धोखाधड़ी हुई है। शिकायतकर्ता को एक SMS आया था जिसमें उनसे KYC अपडेट करने के लिए एक लिंक पर क्लिक करने को कहा गया था। लिंक पर क्लिक करते ही एक फर्जी ऐप उनके फोन में डाउनलोड हो गया, और कुछ ही देर में उनके क्रेडिट कार्ड से पैसे निकाल लिए गए।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तकनीकी विश्लेषण और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की मदद से जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि ठगी झारखंड के जामताड़ा से की गई थी, जो साइबर धोखाधड़ी के लिए बदनाम है। दिल्ली पुलिस की एक टीम तुरंत जामताड़ा पहुंची और स्थानीय पुलिस की मदद से चार आरोपियों – अजय मंडल, रंजन मंडल, राजू मंडल और दीपक मंडल को गिरफ्तार कर लिया।

धोखाधड़ी का तरीका: ऐसे बनाते थे शिकार

साइबर अपराधियों का यह गिरोह बेहद शातिर तरीके से काम करता था। उनके ठगी के मुख्य तरीके इस प्रकार थे:

  1. फर्जी SMS और फिशिंग लिंक:
    • अपराधी सबसे पहले लोगों को फर्जी SMS भेजते थे। ये SMS अक्सर बैंक, सरकारी विभाग या किसी सेवा प्रदाता के नाम से होते थे (जैसे “आपका KYC अपडेट करें,” “आपका अकाउंट ब्लॉक हो जाएगा,” “आपको लॉटरी लगी है,” या “आपका बिजली बिल बाकी है”)।
    • SMS में एक लिंक (फिशिंग लिंक) दिया होता था, जिस पर क्लिक करने को कहा जाता था।
  2. फर्जी ऐप्स और वेबपेज (स्केयरवेयर):
    • जब पीड़ित उस लिंक पर क्लिक करता था, तो या तो एक फर्जी वेबसाइट खुलती थी जो असली बैंक या सेवा प्रदाता जैसी दिखती थी, या फिर एक फर्जी ऐप डाउनलोड हो जाता था।
    • ये ऐप्स अक्सर मैलवेयर होते थे, जो फोन में घुसकर संवेदनशील जानकारी (जैसे बैंक डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड नंबर, OTP) चुरा लेते थे।
  3. OTP और SMS इंटरसेप्शन:
    • एक बार जब फर्जी ऐप या मैलवेयर फोन में इंस्टॉल हो जाता था, तो अपराधी पीड़ित के फोन से OTP (वन-टाइम पासवर्ड) और अन्य SMS संदेशों को इंटरसेप्ट कर लेते थे।
    • इसका मतलब है कि जब पीड़ित के बैंक से कोई OTP आता था, तो वह अपराधियों तक भी पहुंच जाता था।
  4. क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड डिटेल्स की चोरी:
    • कई बार, फर्जी वेबसाइट पर पीड़ित से अपनी क्रेडिट/डेबिट कार्ड डिटेल्स, CVV और एक्सपायरी डेट डालने के लिए कहा जाता था। जैसे ही पीड़ित ये जानकारी डालता था, वह अपराधियों तक पहुंच जाती थी।
  5. पैसे की निकासी:
    • एक बार जब अपराधियों के पास OTP और क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स आ जाती थी, तो वे तुरंत ऑनलाइन लेनदेन करके पीड़ित के खाते से पैसे उड़ा लेते थे। ₹10.8 लाख का मामला इसी तरह अंजाम दिया गया था।

पुलिस ने क्या-क्या बरामद किया?

गिरफ्तार किए गए अपराधियों के पास से पुलिस ने कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और फर्जी सिम कार्ड बरामद किए हैं। इनमें मोबाइल फोन, सिम कार्ड और अन्य उपकरण शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल वे धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए करते थे। ये गैजेट्स धोखाधड़ी के सबूत के तौर पर इस्तेमाल होंगे।

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साइबर धोखाधड़ी से कैसे बचें: दिल्ली पुलिस की सलाह

दिल्ली पुलिस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ आम जनता को ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए लगातार सलाह देते रहते हैं:

  • अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें: किसी भी अनजान नंबर या संदिग्ध दिखने वाले SMS, ईमेल या सोशल मीडिया मैसेज में आए लिंक पर कभी क्लिक न करें।
  • फर्जी कॉल्स से सावधान: बैंक, सरकारी एजेंसी या किसी प्रतिष्ठित कंपनी का अधिकारी बताकर फोन करने वाले व्यक्ति पर तुरंत भरोसा न करें, खासकर जब वे आपकी निजी जानकारी या OTP मांगें।
  • OTP किसी से साझा न करें: बैंक या कोई भी संस्था कभी भी आपसे फोन या SMS पर आपका OTP, पासवर्ड या पिन नहीं मांगती। इसे हमेशा गोपनीय रखें।
  • ऐप डाउनलोड करते समय सावधान: केवल Google Play Store या Apple App Store जैसे विश्वसनीय स्रोतों से ही ऐप्स डाउनलोड करें। किसी भी थर्ड-पार्टी वेबसाइट से ऐप डाउनलोड करने से बचें।
  • एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें: अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर विश्वसनीय एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें और उसे नियमित रूप से अपडेट करें।
  • बैंक स्टेटमेंट चेक करें: अपने बैंक और क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट को नियमित रूप से जांचते रहें ताकि किसी भी अनधिकृत लेनदेन का तुरंत पता चल सके।
  • संदिग्ध लगने पर संपर्क करें: यदि आपको किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का संदेह होता है, तो तुरंत अपने बैंक और साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

यह गिरफ्तारी साइबर अपराधियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के निरंतर अभियान का हिस्सा है, जो लोगों को ऐसी धोखाधड़ी से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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